Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

GURDAN SAINI

        गुरदान सैनी





इतिहास के पन्नों में दबाव वह महान योद्धा जिसने भारत की शान और सांस्कृतिक, वीरता से परिपूर्ण भूमि राजपूताना में सैनी समाज का नाम इतिहास के पन्नों में बुलंद कर दिया पर कालांतर से वर्तमान तक चले इस काल में हमारे इस महान और वीर योद्धा को वह सम्मान नहीं मिल सकता जिस के हकदार यह खुद अपनी वीरता और साहस से बने थे |


इतिहासकारों के द्वारा किए गए वर्णन से इस जानकारी को आप तक पहुंचाया जा रहा है जिसका प्रमाण सहित रेफरेंस नीचे दिया गया है जिसे इस साक्ष्य तथ्य का पता नहीं वह भी सत प्रतिशत दिए गए  रेफरेंस से इसकी प्रमाणिकता जा सकता है



इतिहासकारों के द्वारा  दिया गया वर्णन


1301 ईस्वी में जब अल्लाहउद्दीन खिलजी ने रणथंबोर पर हमला किया तब  हम्मीर देव ने अपने सेनापति गुरदान सैनी को युद्ध में भेजा अल्लाह उद्दीन खिलजी कि सेना का नेतृत्व  नुसरत खान कर रहा था वह हमेशा की तरह मुगलों की सेना राजपूतों की सेना से अधिक परंतु सेनापति गुरदान सैनी ने अपने धर्म की रक्षा करते हुए नुसरत खान को मार गिराया वह युद्ध विजय कर वापस रणथंबोर गढ़ की ओर बढ़ चले जब इस बात का पता अलाउद्दीन खिलजी को चलता है तो वह अपनी सेना की संख्या को दोगुना कर उगलुक खा के साथ नेतृत्व में भेजता है इस समय गुरदान सैनी भी युद्ध में लड़ते हुए काम आ जाते हैं | अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए सैनी ने खिलजी की सेना को बहुत परेशान किया जिसका जिक्र इतिहासकारों के द्वारा किया जाता है



इनके जैसे बहुत से योद्धा हैं समाज में परंतु आज तक ऐसा कोई माध्यम नहीं बना जिससे हम हमारे इतिहास , संस्कृति को व्यवस्थित कर गौरवान्वित महसूस कर सकें अगर आप भी इस कड़ी में हमारी मदद करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए टेलीग्राम लिंक से जुड़े वह अधीक्षक अधिक से अधिक सैनी माली समाज के बंधुओं को जोड़ें 




REFERENCE :- 

History of the Khaljis, A.D. 1290-1320

The History of India, as Told by Its Own Historians       The Muhammadan Period, Volume 3




Post a Comment

0 Comments

Ad Code