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जादोबंसी सैनी राजपूत महासभा

                 Jadobansi Saini Rajput Mahasabha

(registered as Saini Jadobanshi Kshatriya Welfare Association, SAS Nagar, Punjab , under ACT XXI of 1860)









पंजाब, जम्मू, हिमाचल और उत्तर पश्चिमी हरियाणा में वंश के सैनियों ने एसएएस नगर (मोहाली), पंजाब में आधिकारिक तौर पर अपना संगठन पंजीकृत कराया है। इस संगठन की स्थापना यदुवंशी सैनी राजपूतों के क्षत्रिय मूल्यों, पहचान और विरासत के संरक्षण और अन्य हित समूहों द्वारा इनका दुरुपयोग होने से बचाने के लिए की गई थी। यदि आप अपने भाइयों से जुड़ना चाहते हैं या यदि आप स्वयं को किसी समुदाय आधारित पहल के लिए स्वयंसेवा करना चाहते हैं, तो कृपया जत्थेदार श्री से संपर्क करें। दिलदार सिंह सैनी +1 437 236 3335 (व्हाट्सएप) पर। राजस्थान, यूपी और अन्य जगहों के भाटी, जादौन और अन्य प्रामाणिक यदुवंशी राजपूत जो पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में अपने शूरसैनी भाइयों से जुड़ना चाहते हैं, वे भी इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं।


यदुवंशी क्षत्रिय सैनी राजपूत महासभा के मुख उद्देश्य :

1.   पंजाब ,  जम्मू, हिमाचल और पंजाब के सीमावर्ती पूर्वोत्तर हरयाणा में बसने वाले शूरसैनियों (अर्थात शुद्ध सैनियों)   में   श्री कृष्ण के दादा महाराजा शूरसेन से आरम्भ होने वाली  उनकी यदुवंशी क्षत्रिय  राजपूत वंशावली  की स्मृति का संरक्षण करना ।

2.  यदुवंशी सैनियों में  वेद-वेदांत और सिख मत का अनुसरण करने वाली उनकी क्षत्रिय धरोहर  का संरक्षण करना । सैनी भाईचारे में शास्त्र का प्रचार करना और उनमे  वेद-वेदांत और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के प्रति अभिरुचि और जिज्ञासा का विकास करना। 

3. सैनी नवयुवकों को विधान और शास्त्र सन्मत शस्त्र विद्या सीखने की और उनको उनके वीर पूर्वजों की तरह धर्म और देश हित के लिए बलिदान देने की प्रेरणा देना ।

4. यदुवंशी सैनियों को उनके पूर्व मध्यकालीन  मथुरा , दिल्ली,  बयाना, धौलपुर, कमान इत्यादि क्षेत्रों में  विभाजित राजपूत राज्य का और उनके ग़ज़नी के आक्रमणकारियों के साथ लगभग तीन सौ साल तक चले उनके युद्धों के लिए पंजाब पलायन का  स्मरण दिलाना ।

5. क्षत्रिय मूल्यों और मर्यादाओं की रक्षा हेतु  पंजाब  और सीमावर्ती क्षेत्रों के शुद्ध सैनियों को इन इलाके के अन्य राजपूत संघठनो के साथ सामाजिक , सांस्कृतिक और राजनैतिक सामंजस्य के लिए प्रेरित करना ।

6. पंजाब से बाहर बिखरे हुए यदुवंशी  राजपूतों  (जो की समय और स्थान  के फेर  से जादों, भाटी, छोंकर, बनफर,  जाधव  इत्यादि नामो से विलक्षित हुए )  और शुद्ध यदुवंशी सैनी राजपूतों को एक मंच पर एकत्रित करके उनको अपने स्वर्णिम इतिहास का बोध कराना  ।

7. विश्वविद्यालयों के इतिहासकारों द्वारा प्रमाणित प्रणाली से पंजाब और सीमावर्ती क्षेत्रों के यदुवंशी सैनियों के इतिहास का लेखन और प्रकाशन करना।

8. 1937  के उपरान्त पंजाब के बाहर  गैर-क्षत्रिय जातियों द्वारा सैनी पहचान , इतिहास और महानुभूतियों के नामों के दुरूपयोग   का विरोध करना और जन मानस को शुद्ध सैनियों के इतिहास और सांस्कृतिक पहचान का बोध कराना ।

9. वेद-वेदांत और सिख मत की आलोचना करने वाली सभी विचारधाराओं का खुल कर खंडन और विरोध करना।

10. हिन्दू समाज की विभिन्न  जातियों को एक ही कालपुरुष के विभिन्न अंग मानकर उनकी सेवा करना और अश्पृश्यता और छुआ छूूत  जैसी सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना । अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करते हुए समाज की सभी जातियों के साथ भाईचारा रखना और उनका आदर करना ।   कालपुरुष के मौलिक ऐक्य को स्वीकार करते हुए समाज की विभिन्न  जातियों को उच्च और नीच में विभाजित करके नहीं देखना ।

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नोट- राजस्थान और दक्षिण हरियाणा में माली और पशिचमी यू.पी में भागीरथी,मुराव (मौर्य),काछी (कुशवाहा), सागरवंशी (शाक्य) भी 1937 के बाद से सैनी लिखते है जिनका यदुवंशी सैनी राजपूतो से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदुवँशी सैनी राजपूत यदुवँश की जादों शाखा से है। सैनी/शूरसैनी वंश भगवान श्री कृष्ण के दादा एवं वासुदेव के पिता महाराजा शूरसैनी से आरम्भ हुआ।  11वी शताब्दी में ग़ज़नवी आक्रमण से लड़ने के लिए यदुवंशी सैनी करौली, मथुरा से जम्मु, हिमाचल, पजाँब और उतर हरियाणा मे पलायन कर गए ।



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1 Comments

  1. मौर्य कुशवाहा समाज के अंदर कोइरी, काछी, मुराव यह तीन जातियां शामिल हैं। अतः यह सभी शाक्यवंशी चंद्रगुप्त मौर्य के वंशज हैं। यह लोग वर्तमान में मौर्य, कुशवाहा, शाक्य सरनेम लगाते हैं। जब हमारे पास मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, महतो, सम्राट आदि सरनेम लगाने के लिए उपलब्ध है तो सोचिए हम ( सैनी ) सरनेम क्यों लिखेंगें ।

    नोट- माली,मालाकार,फूलमाली ये एक अलग जाति है। जो 1920 में सैनी सरनेम इस्तेमाल करने लगें सेना में भर्ती होने के लिए। यह लोग फूल उगाने और माला बनाने का काम करते हैं। जिनका मौर्य,कुशवाहा,शाक्य से कोई संबंध नहीं है। राजनीतिक वोट बैंक के कारण नेता सबको मिला देते हैं लेकिन यह लोग अलग है। कृपया करके माली से कुशवाहा, मौर्य,शाक्य को न‌ जोड़े। 🙏🙏

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